प्रमोद महाजनांची मर्डर मिस्ट्री सस्पेन्स थ्रिलरपेक्षा कमी नाही!

प्रमोद महाजनांची मर्डर मिस्ट्री सस्पेन्स थ्रिलरपेक्षा कमी नाही!

प्रमोद महाजानांच्या हत्येनंतर आणि हत्येआधी अनेक गोष्टी घडल्या. अनेक प्रश्न तयार झाले. काहीचीं उत्तर मिळाली. पण काही प्रश्न आजही अनुत्तरीतच आहेत. कोणत्या प्रश्नांची उत्तरं मिळाली आणि कोणते प्रश्न अनुत्तरीत आहेत, हे क्राईम तकचे पत्रकार शम्स शाहिर खान यांनी शोधण्याचा प्रयत्न केला. काय आहे नेमका घटनाक्रम.. सांगत आहेत शम्स ताहिर खान

टीम रिडर – प्रमोद महाजन…! ये कहानी एक साथ दोन तीन हिस्सो से जुडी हुई है. ये कहानी है प्रमोद महाजन जी. आज अगर अमीत शहा कहते है की वे बीजेपी के चाणक्य है.. तो जब अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवानी की जोडी थी. जिस वक्त सरकार भी बीजेपी की थी.. उस दौर मे कहते है प्रमोद महाजन चाणक्य हुआ करते थे बीजेपी के. प्रमोद महाजन की एक पहचान ये भी थी के बीजेपी के लिए फंडीग इकट्ठा करना. पार्टी के लिए पैसे जमा करने का काम करना. उसमे प्रमोद महाजन को बहोत महारथ हासिल थी. जब उनकी मौत हुई तो इस सारे फंडिंग को लेकर भी बहोत सारे सवाल उठे थे. पैसे को लेकर भी सवाल उठे थे.

प्रमोद महाजन के मौत के एक महिने बाद उनके जो पर्सनल सेक्रेटरी थे बिबेक मोईत्रा उनकी भी मौत हो गयी. दो-तीन बार मुझे बिबेक मोईत्रा से मिलने का मौका मिला था. हमेशा उनका नाम लेते वक्त हम उन्हे विवेक कहते थे. तो वे हमेशा करेक्ट करते थे और कहते थै की मेरा नाम बिबेक है ना की विवेक.

एक महिने बाद हुई बिबेक मोईत्रा के मौत के वक्त उनके साथ प्रमोद महाजन के बेटे राहुल महाजन थे. वो अपोलो हॉस्पिटल में जिन्दगी और मौत के बीच झूंज रहे थे. तो ये दोनो कहानिया क्या आपस मे मिलती है.. क्या इनका आपस मे कुछ रिश्ता है.. क्या कनेक्शन है.. इन सारे सवालों पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे पुरे फॅक्ट्स के साथ.
तो सबसे पेहले शुरुआत करते है प्रमोद महाजन जी से..

अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे.. उनके मंत्रिमंडल मे प्रमोदजी बडे महत्त्वपूर्ण पद पर रहे. प्रमोद महाजन एक बार माहिती और प्रसारण मंत्री भी थे. पार्लमेंटरी अफेअर मिनिस्टर भी वो रह चुके है. डिफेन्स मिनिस्टर रहे. उससे पेहले महाराष्ट्र में वह विधायक रहे. फिर लोकसभा के लिए चुने गए. अलग अलग मंत्रालय उन्होनें संभाला. जब अटलजी प्रधानमंत्री थे और लालकृष्ण आडवानी गृहमंत्री या उपप्रधानमंत्री थे… उस वक्त प्रमोद महाजन का कद बहोत बडा था. प्रमोद महाजन बहोत बडे ताकदवर नेता थे. बल्की ये भी कहा गया था की आनेवाले वक्त में शायद वो बीजेपी के इतने बडे नेता हो की प्रधानमंत्री पदतक अपना दावा ठोक सकते है.

प्रमोद महाजन के दुसरे पॉलिटिकल पार्टीओं से भी अच्छे खासे रिश्ते थे. दोस्ती थी. बोलते बहोत अच्छा थे. काबिल वक्ता थे. और सबसे बडी खासियत जिसके लिए उनकी पहचान थी वो पार्टी के लिए पैसे जमा करना. चंदा जुटाना. फंड इकट्ठा करना. इसमें उन्हे महारथ थी. और इसी को लेकर उनके उपर सवाल उठा की बहोत सारे फंड का उन्होंने इस्तमाल भी किया. जो पार्टी फंड मे होना चाहीए था, वो शायद उन्होंने अपने पर्सनल यूज के रखा, ऐसे भी सवाल उठे. हालाकी इनके कुछ भी सबूत नहीं मिले. और ये भी था की अचानक उनके मौत होने के कारण ये जो पैसे थे, उसका कोई हिसाब-किताब नहीं था. और वो कहा है, किसके पास है.. उसकी जानकारी किसको है.. ये सारे सवाल भी उठ रहे थे.

तो ये कहानी शुरु होती है साल 2006 मे. 22 अप्रल 2006. लेकीन उससे पहले 21 अप्रेल 2006 को एक अजिब चीज होती है. प्रमोद महाजन जब अपने घर गए थे मुंबई. सेंट्रल मुंबई मे वरली में उनका घर था. और उनकी परिवार मे उनकी बीवी रेखा महाजन, बेटी पूनम महाजन, बेटा राहुल महाजन ये लोग सारे एकसाथ रहते थे.

21 जून की रात को, इनके जो छोटे भाई है प्रवीण महाजन, उसने फोन पर बडी लंबी बातचीत हुई. और फोन पर दोनों मे बडा झगडा हुआ. बहोतही तेज-तेज झगडा हुआ. प्रमोद महाजन के घरवाले भी ये सुन रहे थे. इसके बाद प्रवीण महाजन रात को एक आखिरी एसएमएस करता है अपने भाई प्रमोद महाजन को. उस एसएमएस में जो टेक्स्ट था, वो एक्झॅक्ट ये लिखा हुआ था की…

अब ना होगी याचना, ना प्रार्थना..
अब रण होगा, जीवन या फिर मरण..

इससे पहले भी इन दोनों मे झगडा हो चुका था कई बार. प्रमोद महाजन के बारे मे ये भी कहते है की वे थोडे शॉर्ट टेम्पर है. उनको गुस्सा बहोत जल्दी आ जाता था. उन्होने ये बात कई इन्टरव्हू मे भी बोली है.

तो 21 जून 2006 को दोनो भाईओं मे लडाई होती है. इसके अलावा फिर एक मेसेज किया जाता है. 22 जून की सुबह करीब 7.30-7.45 बजे प्रवीण महाजन सीधे वरली प्रमोद महाजन के घर पहुंचता है. उस वक्त प्रमोद महाजन घर में ही होते है. दोनों का आमना सामना होता है आणि फिर से एक बार दोनो मे झडगा शुरु हो जाता है. ये झगडा करीब 15 मिनिट तक चलता रहता है.. 15 मिनिट दोनो भी बहोत तेज आवाज में लडते है. अचानक इस झगडे के दौरान प्रवीण महाजन अपनी जेब से पॉईन्ट थ्री बोर का ब्राऊनिंग पिस्टल (जिसका उनके पास लायसन्स भी था) निकालते है. और इस लडाई झगडे के दौरान ही गोली फायर कर देते है प्रमोद महाजन के उपर. दोनो भी एकदम पास थे खडे हुए थे. पिस्तोल से प्रवीण महाजन चार गोली फायर करता है. उनमें से एक गोली दाए बाए हो जाती है. गोली लगती नहीं है. लेकीन 3 गोली प्रमोद महाजन को सीधे जाके लगती है. और बिल्कुल भी क्लोज रेंज से.. नजदिक से लगती है.

जब ये गोली प्रमोद महाजन को लगी उस वक्त तकरीबन सुबह के 8 बज रहे थे. प्रमोद महाजन के घर के बराबर सामनें ही गोपीनाथ मुंडे का घर था. गोपीनाथ मुंडे प्रमोद महाजन के बहन के पती थे. गोपीनाथ मुंडे भी बीजेपी के एक बडे नेता थे. पडोस में ही घर होने के वजह से तो उन्हे फौरन पता चलता है.

वो लोग भाग कर आते है.. उस वक्त प्रमोद महाजन खून से लतपथ जमीन पर अपने घर पर पडे हुए है. घर मे रोना आणि चिखना मच जाता है. वो सारे लोग किसी तरह से प्रमोद महाजन को उठाते है, गाडी मे डालते है. फौरन उन्हे हिंन्दुजा अस्पताल ले जाया जाता है. जब अस्पताल मे उनको लाया गया तो टाईम हुआ था तकरीबन 8.20 मिनिट. अस्पताल के मेडिकल रेकॉर्ड में ये टाईम है.

उसके बाद डॉक्टरों की पुरी टीम उनका मोआईना करती है. उन्हे देखती है. एक गोली लिवर में जाकर लगी थी. एक गोली छाती के नीजे लगी थी. और एक गोली पेट मे लगी थी. कुल मिलाकर तीन गोलिया उन को लगी थी. ये तिनो गोली उन्हे शरीर के बायी तरफ लगी थी. और इसीलिए उनका दिल बच गया था. लेकिन जो पेट मे और छाती के नीचे गोली लगी थी ..लिवर मे गोली लगने से ब्लिडींग बहोत ज्यादा हो रही थी..

डाक्टरों ने तुरंद उनको ऑपरेट करना शुरु कर दिया. लेकीन लिवर की ब्लिडींग को रोकना बहोत मुश्किल हो रहा था. इस दौरान तकरीबन कुछ 25 बॉटल खून उनको चढाया गया. किसी तरह से उन्हे लाईफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया. और डाक्टर अपनी पुरी कोशिश करते रहै.

धीरे धीरे वक्त बीतता है. पर उनकी हालत लगातार क्रीटीकल रहती है. इधर दुसरी तरफ करीब 8 बजे आसपास, सुबह गोली मार देने के बाद, प्रवीण महाजन सीधे प्रमोद महाजन के घर से बाहर निकल जाता है. घर से भाग कर प्रवीण महाजन वरली पुलीस स्टेशन पहोंचता है अपने आप. वरली पुलीस स्टेशन पहुंचने के बाद पिस्टल निकालता है, बाकायदा पुलीस को देता है और बताता है की मैने अपने भाई प्रमोद महाजन को गोली मार दी है. और गोली मार कर में यहा आ रहा हू सरेंडर करने के लिए. पुलिस भी हैरान.

पुलिस प्रवीण महाजन को जानती भी थी. क्योंकी प्रमोद महाजन का कद इतना बडा था की उनकी फॅमिली को जब भी सिक्योरिटी की अरेंजमेन्ट या प्रमोद महाजन मुंबई होते थे, तो ये सब करना पडता था. इसी वजह से पुलीस प्रवीण महाजन को जानती थी.

वरली पुलिस ने अपने सिनिअर अफसरों को इस बात की चानकारी दी. इची बीच इस बात की पुश्टी भी हो गई की सच मे प्रमोद महाजन को गोली लगी है. पुलीस ने प्रवीण महाजनसे पिस्टल को अपने कब्जे मे लिया. शुरुवाती बयान मे प्रवीण महाजन ने ये कहा था की मैने इसीलिए मारा क्योंकी मेरा भाई मुझे इग्नोर कर रहा है. हमेशा मेरी बेईज्जती करता है. और हमें नीचा दिखाने की कोशिश करता है. मुझसे हे बर्दाश नहीं हुआ इसलिए मैने गोली मार दी..
इसके फौरन बाद पुलीस अटेम्प्ट टू मर्डर का केस दर्ज करा देती है. क्योंकी प्रमोद महाजन अभी भी जिंन्दा दी. हाला की उनकी सेहत क्रीटीकल थी. उनकी मौत नहीं उई थी. उधर हिन्दुजा हॉस्पिटल मे लगातार डॉक्टर कोशिश जारी रखते है. लेकीन हालत सुधर नहीं रही थी. मेन प्रोब्लेम लिवर मे जो गोली लगी थी उसी की थी.

लंदन से एक लिवर स्पेशलिस्ट डॉक्टर को बुलाया जाता है. वो डॉक्टरों की यहा हिन्दुजा अस्पताल में मदद करते है. और इस तरीके से करीब 13 दिन निकल जाते है. 13 दिन के बाद 3 मई 2006 को तमाम डॉक्टरों की कोशिश के बावजूद प्रमोद महाजन की मौत हो जाती है. डॉक्टर उन्हे बचा नहीं पाते. लिवर डॅमेज की वजाह से उनकी मौत हो जाती है.

जैसे ही प्रमोद महाजन की मौत हो जाती है, तो पुलीस अटेम्प्ट टू मर्डर से मर्डर मे कन्व्हर्ट करती है. प्रवीण महाजन पे मर्डर के चार्ज लगते है. उसके बाद मुकदमा शुरु होता है.
कोर्ट मे जब ये मामला पहोंचता है तो हर एक को यह जानना जाह रथा था के आखिर इस कत्ल के पिझे मक्सद क्या है. अदालत में रेखा महाजन जो की प्रमोद महाजन की बीवी है वो रेकॉर्ड पे गवाही देती है की प्रवीण महाजन ने पिछले कुछ दिनों से 1 करोड रुपये की मांग की थी. और प्रमोद महाजन ने कहा था की मेरे पास इतने पैसे है नहीं. इसलिए हमेशा लडाई झगडा हुआ करता था. जो गोली उस दिन मारी थी वो इसी लिए मारी थी, ऐसा रेखा महाजन का बयान था.

लेकीन अदालत ते रेखा महाजन के इस बयान को, इस थिएरी को मानने से इन्कार कर दिया. अदालत ने कहा की 1 करोड मांगने की वजाह से प्रवीण महाजन ने गोली नहीं मारी. ऐसा कोई सबूत भी नहीं था. इस इन्कार की वजाङ एक और भी थी की प्रवीण महाजन तब तक अलग अलग बयान दे रहे थे अदालत मे. और वो प्रमोद महाजन के कुछ रिश्तो को लेकर भी था.

तो इस पर प्रमोद महाजन के परिवार ने अदालत से दर्खास्त की के केस की सुनवाई उसपर मीडिया कव्हरेज पे रोक हो. और बंद कोर्ट में इसकी सुनवाई हो. क्योंकी इस केस के सिलसिले मे कई चीजें ऐसी कहीं जा रही थी जो की महाजन परिवार के इज्जत के लिए ठीक नहीं है. तो इस अपील को अदालत ने मान लिया. लोअर कोर्ट के वक्त ये अदालत का फैसला आया था.

तो कोर्ट मे जो भी होता था, उसको छापने या फिर बताने, और दिखाने पर रोक लगा दी गयी. एक जो और चीज थी इसमे एक गवाई हुई थी जिसमे प्रमोद महाजन को जब हॉस्पिटल लेके जा रहे थे, गोली लगने के बाद और गोपिनाथ मुंडे जो उनके बहन के साथ मे थे, तो उस वक्त उन्होने जाते जाते हे कहा था की आखीर मेरा गुनाह क्या था की जो प्रवीण ने मुझे गोली मार दी. ये प्रमोद महाजन की आखिरी लाईन थी, जो की गोपिनाथ मुंडे को कहा गया था. और ये उस वक्त कोर्ट मे बताया भी गया था.

प्रमोद महाजन के इस आखिरी वाक्य के भी क्या क्या मतबल निकलते है, इनपर भी चर्चा हुई थी. इसका अर्थ अपने अपने हिसाब से मीडिया मे भी निकाला गया था.
कोर्ट मे बहोत सारी चीजे कही प्रवीण ने प्रमोद महाजन को लेकर. जिसमे सब से ज्यादा ये था की 15 दिन से वे प्रमोद महाजन से मिलने के लिए समय मांग रहे थे. और वो मुझे इग्नोर कर रहे थे. 15 दिन तक उन्होने मुझे मिलने के लिए टाईम नहीं दिया, ऐसा प्रवीण महाजनने कहा था. अपने आसपास के लोग अमीर होते जा रहे है. उनका ख्याल रखते है. और मेरा कोई ख्याल नहीं रखते.

फिर कुछ रिश्तो को लेकर भी कहा गया. प्रमोद महाजन के कुछ रिश्ते है जिनसे खुद उनकी बीवी रेखा महाजन के साथ उनका झगडा हुआ. और प्रवीण महाजन ने कहा की एक बार तो बात तलाक तक नौबत आ गयी थी. हालाकी इन चीजों को रेखा महाजन हमेशा इन्कार करती रहीं. लेकीन प्रवीण महाजन ये सारी चीजें बोलते रहे. जब कोर्ट मे फिर ये कारवाई शुरु हुई, यहातक ये भी हुआ के प्रवीण महाजन ने अपना बयान बदल दिया और कहा की मैने गोली नहीं मारी. पुलीस मे जो मैने बयान दिया था वो गलत था. उस दिन गुस्से मे हमारा झगडा हुआ था. प्रमोद महाजन और हममे हाथापयी हो गयी. उसी मे गलती से गोली चल गयी.
लेकीन फिर वही सवाल था. गलती से एक गोली चल सकती है. दोन-तीन… चार गोलिया नहीं चल सकती. तो वो बाद में उसने कहा था की मैंने कत्ल नहीं किया है. इस फैसले को उपरी अदालत मे भी बाद करने की वो कोशिश करता था.

खैर अदालत ने सारी चीजें सुनी. उसके बाद फिर लोअर कोर्ट ने उर्म कैद की सजा सुना दी. क्योंकी उनका कहना था की वो सारे जो प्रूफ है वो उसके खिलाफ है. तो 18 डिसंबर 2007 को उर्म कैद की सजा सुनाई गयी. सजा सुनाने के बाद हायकोर्ट मे इस फैसले को चॅलेंज कीया गया. इसी दौरना वक्त गुजरता रहा. 2010 मे प्रवीण महाजन की पत्नी सारंगी महाजन की तबीयत बिगड गयी.

तो ह्युमन ग्राऊंड पर अदालत ने प्रवीण महाजन को पे रोल रीहा कर दिया. रिहा करने के बाद प्रवीण महाजन अपने घर पहोंचते है. अपनी बीवी की देखभाल करते है. लेकीन 3 मार्च 2010 को जब वो पे रोल का आखिरी दिन था, औऱ अगले दिन उन्हे वापस जेल जाना था नासिक मे उनकी मौत हो गयी. ब्रेन हॅमरेज की वजह से प्रवीण महाजन की भी मौत हो जाती है. मतलब प्रमोद महाजन को जिसने गोली मारी वे उनके भाई प्रवीण महाजन की भी मौत हो चुकी है 3 साल के बाद. इत्तेफाक ही बात यह थी की 3 मई 2006 को प्रमोद महाजन की मौत होती है. 3 मार्च को प्रवीण महाजन की मौत होती है. कहा जाता है महाजन परिवार मे 3 तारीख को लेके अजीब सी चीजें है.

लेकीन मौत से पहले ये जब जेल मे प्रवीण महाजन था, तब प्रवीण महाजन ने 2009 मे एक किताब लिखी. उस किताब का नाम था ‘माझा अल्बम’. इस किताम मे लिखा था, उसका निचोड ये था की कैसे उसको हथियारा बनाने की कोशिश की गई और उस हत्या की वजाह क्या थी, यह प्रवीण महाजन ने लिखा था.

उस किताब मे कुछ चीजें थी..जिसको लेके प्रवीण महाजन ने प्रमोद महाजन पर गंभीर इल्जाम लगाए थे. प्रवीण ने लिखा था की, प्रमोद महाजन बचपन से आरएसएस से जुडे हुए थे. उनके पिता की मौत बचपन मे ही हो गयी. घर के 5 बच्चो मे सबसे बडे वहीं थे. उन्होंने घर को बहोत अच्छे तरीके से पाला. ये भी लिखा प्रवीण ने के वो मुझे हमेशा अपने बाप की ही तरह लगते थे. उन्होंने हमेश भाई और बाप दोनों का प्यार दिया, ऐसा भी लिखा है. पूरे परिवार का ख्याल रखा. वो बडे अच्छा वक्ता दे. डिबेट मे हमेशा जितते थे.

लेकीन धीरे धीरे जब वो दिल्ली मे पावरफुल होते गए तो फिर उन्होंने बहोत सारी चीजे की. जो फंडींग करते थे उसके भी बहौत सारे पैसे इथर उधर हुए. फिर उन्होने कुछ रिश्तो को लेकर भी सवाल उठाए. और ये भी कहते है की उस दिन जो लडाई हुई थी उसकी जड मे कुछ ना कुछ रिश्ता भी था. लेकीन इसके सबूत, इसका गवाह कोई भी नहीं है. इसलिए बोलना भी ठीक नहीं है. मगर ये चीजें किताब मे बकायदा लिखी थी.

ये रिश्ते थे और इस रिश्ते के बारे मे उनके सेक्रेटरी को पता था. और उन्हे ये भी था के शायद कहीं ना कहीं इस रिश्ते को लेकर वो ब्लॅक मेल कर रहे थे. ये सारी चीजे जाकर मौत की वजाह बनी. जाहीर सी बात है प्रवीण महाजन ने ये सब जो बाते लिखी उसका कोई सबूत तो है नही. लेकीन एक और मराठी अखबार को भी इंटरव्हू दिया था प्रवीण महाजन ने. उस मे भी यही सब बाते प्रवीण महाजन ने कहीं थी.

प्रमोद महाजन के कुछ महिलाओं से रिश्ते थे, ऐसा सनसनाटी औऱ गंभीर आरोप प्रवीण महाजन ने किया था. खासतौर पर एक नाम लिया गया था. उसी को लेके ये सारा लडाई झगडा चल रहा था, ऐसा कहा जाता है.

23 जनवरी 1999. दिल्ली मे इंडिअन एक्स्प्रेस की एक पत्रकार थी. नाम था शिवानी भटनागर. इत्तेफाक से उस वक्त मे जनसत्ता मे था. हमारा ऑफिस एक ही बिल्डिंग मे था. शिवनी भटनागर से मेरी अच्छी दोस्ती भी थी. मुझे वो बहोत सीनिअर थी. लेकीन जब भी मिलती थी तो ऐसा लगता नहीं था. उस वक्त हम नए नए जर्नालिझम मे आए थे. रात को अक्सर हम उनको देखा करते थे. वो पॉलिटिकल बीट कवर करती थी.. 23 जनवरी 1999 को शिवानी भटनागर का कत्ल हो जाता है. उस कत्ल की रिपोर्टंग मैने की थी.

तब जो एक आपीएस अफसर दे पंजाब केटर के जिनका नाम था रविकांत शर्मा.. उनको पुलीस ने पकडा. रविकात शर्मा को आर.के शर्मा के नाम से ही पहचाना जाता था. मुकदबा भी चला. उनको सजा भी हुई. लेकीन जब उनको गिरफ्तार किया गया तब शिवानी भटनागर का कत्ल आयपीएस रविकात शर्मा ने किया, ऐसा सामने आया. जिसकी वजाह थी इन दोनो के बीच मे अफेअर था. लेकीन फिर शिवानी उनको शादी के लिए दबाव डालने लगी. लेकीन आरके शर्मा पहले से ही शादीशुदा थे. तो उन्होनं किराए के कातिल को भेजा और शिवनी का मर्डर कराया. ये इल्जाम था.

जो आपीएस रविकांत शर्मा की बीवी थी मधू शर्मा इनका मैने इंटरव्हू भी किया था. उस मे उन्होंने इस बात का जिक्र किया था की रविकांत शर्मा का ऐसा कोई भी शिवनी भटनागर से रिश्ता नहीं था. ऐसा कोई भी दबाव नहीं था. बल्की शिवानी भटनागर का रिश्ता प्रमोद महाजन के साथ था, है आरोप मधू शर्मा ने लगाया था. और प्रमोद महाजन के उपर शिवानी भटनागर प्रेशन डाल रही थी. और प्रमोद महाजन ने आरके शर्मा और उनके लोगों का इस्तेमाल किया, ऐसा मधू शर्मा का कहना था. हालाकी कोर्ट मे यह बात साबित नहीं हुई. कोर्ट ने सिर्फ और सिर्फ जो आयपीएस है आरके शर्मा उनको सजा दी. और जो किरए के कातिल थे उनको सजा दी.

तो प्रमोद महाजन का नाम शिवानी भटनागर केस मे भी आया था. खैर 2009 मे जब प्रवीण महाजन की किताब आयी तो उसमे कई सारी चीजे लिखी गयी. बताया गया. लेकीन एक चीज की रिश्तो के अलावा पैसे को लेकर भी थी.

अचानक हुई प्रमोद महाजन की मौत ने बीजेपी के फंडींग का पैसा था, उसके उपर भी सवाल उठने लगे. पैसे का हिसाब किताब तो किसी मालूम नहीं था. तो वो हिसाम किताब किसके पास था..कौन कौन से उनके राजदार थे… जानकार थे जिनको ये सब मालूम था.. और वो पैसे कहा है..

उस वक्त जो एक चीज उठी थी, वो थी प्रमोद महाजन के सेक्रेटरी बिबेक मोईत्रा को लेकर. बिबेक मोईत्रा प्रमोद महाजन के करीबी जाने जाते थे. 15 साल से बिबेक मोईत्रा प्रमोद महाजन और गोपिनाथ मुंडे के साथ थे. उससे पहले वो एबीव्हीपी मे भी रहे. बिबेक मोईत्रा हमेशा प्रमोद महाजन के साए के जैसे साथ रहते थे. सारे राज भी जानते थे. ऐसा शक था की शायद बिबेक मोईत्रा को सारी बाते पता हो. बाकी तो किसी को कुछ मालूम नहीं.

तो अभी ये सारे सवाल जवाब चल ही रहे थे.. इसी दौरान प्रमोद महाजन की मौत के बाद उनकी अस्थिओ को अलग अलग जगह पे प्रवाहित किया जा रहा था. आखिरी जो अस्थि का कलश खा उसको 2 जून 2006 को आसाम मे ले जाकर प्रवाहित करना था. वहा की एक नदी मे. उसको राहुल महाजन को लेकर जाना था, जो की प्रमोद महाजन के बेटे है.

1 जून की रात, राहुल महाजन सात सफरजंग रोड दिल्ली मे होते है… जो की प्रमोद महाजन का सरकारी बंगला था. वहा पे 2 जून की सुबह अचानक खबर आती है की बिबेक मोईत्रा की अपोलो हॉस्पिटल मे मौत हो गयी है. और राहुल महाजन सीरिअस है. उन्हे भी अस्पताल मे भर्ती कराया गया है.

उस दिन मे सो कर उठा था. 9 बजे बाद दफ्तर पहुंचना था उस दिन. और लेट आए थे. तो अचानक फोन आता है, अपने ही किसी क्राईम रिपोर्टर दोस्त का. वो बताता है की ऐसे ऐसे हुआ है. राहुल महाजन सिरीअस हे. लेकीन प्रमोद महाजन के सेक्रेटरी के मौत की वजह पता नहीं है. तब हम लोक भाग के वहा जाते है. तब तक खबर आती है की फूड पॉयजनिंग की वजह से बिबेक मोईत्रा की मौत हो चुकी है. और राहुल एडमिट है.

उसी वक्त हमारे एक दोस्त थे वो सबसे पहले उस घर मे पहुंचे थे. तुघलक रोड थाना पडता था. यहा पर उस दिन मैंने एक बदमाशी की थी. क्राईम रिपोर्टींग मे कुछ अलग अलग तरीके से खबरे निकालने का आयडीया होता है. मेथड होता है. तो कई बार वो तरीका काम कर जाता है.

कई बार ऐसा होता के रिपोर्टर बनकर फोन किया, तो जानकारी नहीं मिल पाती. इसलिए कुछ और बन के जानने की कोशिश भी कई बार काम कर जाती है. उस दिन भी मैने ऐसे एक तरीका अपनाया था.

सभी जगह पे यही हेडलाईन चल रहीं थी की फुडपॉयजनिंग से बिबेक मोईत्रा की मौत हुई है. और राहुल महाजन गंभीर हालत मे है. तो जो इन्स्पेक्टर थे वो उस घऱ मे थे उनसे मैने बातचीत की. मामला थोडासा संगीन था. किसी रिपोर्टर को जाने की इजाजत नहीं थी. तो वो काम मेरा फोन पर हो गया. मैने किसी वरीष्ठ अफसर के तोर पर इन्स्पेक्टर से बात की.. इन्हे भी सच मे लगा की वे भी किती अफसर को जानकारी दे रहे हे.

उन्होंने ये बताया के फूड पॉयजनिंग इसलिए नहीं हो सकता है क्योंकी नजदीक के रेस्टॉरंट से खाना मंगाया था. खाने मे ये-ये आयटम था. और वो सारा खान जस का तस टेबल पे पडा हुआ था. उसका सील भी खोला नहीं गया था. फ्रीज मे और कुछ ऐसा था नहीं, जिससे फुड पॉयजनिंग हो सके. हा.. पुडीया जरुर मिली थी जेब से बिबेक मोईत्रा के. और उसे तो टेस्ट किया जा रहा था. लेकीन पुलीस आशंका थी वो पुडीया कोकेन की हो.

जब मुझे मालूम है की यह खबर सच है फिर मैने उसे आजतक पर ब्रेक किया था. और थोडी देर बात फूड पॉयजनिंग का ये सारा जो चल रथा था.. वो सब खबरे गायब हो गयी. और अब आ गयी बात ड्रग्स पे. इस आधार पर पुलीस ने भी इनवेस्टीगेशन की. तो सारी जांच के बाद पता चला की उस रात उस घर मे बिबेक मोईत्रा और राहुल महाजन थे. अगले दिन कलश लेकर जाना था. राहुल ने बिबेक मोईत्रा से कहा की मे बडा अपने आप को लो फिल करा हू. तो कुछ मंगाओ. तो इन दोनों ने शेप्मेअन पी. बिबेक मोईत्रा ने 15 हजार रुपए दिए अपने ड्रायव्हर को. एक जगह फोन पे बात की. दिल्ली से ही ड्रग पेडलर से ड्रग्स मंगाया गया. उसके बाद ये लोग शॅम्पेअन पी रहे थे. फिर ड्रग्स को इन्होने लिया. और ड्रग्स लेते ही इन्होने वॉमिट करना शुरु कर दिया.

इस बीच मे चार लडके इनके घर मे आए थे. जिसमे से साहिल नाम का लडका भी था. इन चारों से बातचीत से यह स्पष्ट हो गया था की ये पहली बार घर पर आए थे. क्योंकी उनके घर पर जो नोकर थे अनिल और गणेश, उन्होंने उन चारो लडको को इससे पहले कभी देखा नहीं था. तो वॉमिटींग करने बाद, ये चारो लडके खडे हो जाते है. वो नोकरो से कहते ही इन्होंने ज्यादा पी ली है. इनको अभी ऐसे ही रहने दो. और वो चले जाते है.

इस बीच मे क्या होता है की ये चारो जाते है तो उसमे से एक लडका जो साहिल था उसकी भी तबियत बिगड जाती है. साहिल की तबियत जब बिगड जाती है तो ये लडके उसे दिल्ली के प्रायवट अस्पताल मे लेकर जाते है. साहिल वहा जाकर सच बता देता है की मैने ड्रग्स लिया है. डॉक्टर फौरन उसको एक इंजेक्शन देते है. एक देढ घंटे मे वो ठीक हो जाता है. फिर वो घर पहुच जाता है.

इधर नोकर 45 मिनिट के बाद आकर देखते है हालत ठीक नहीं है. तब तक जब ये पहला ड्रग लिया था, और जब उन्हे लगा था की गडबड है.. तो उस वक्त लेते ही विवेक मोईत्रा ने एक और कॉल किया था उसी पेडलर को. उसने कहा था की तुमने ये घटिया ड्रग्स भेज दिया है. उसे फोनपरही डाटा. और कहा सही वाला भेजो दोबारा. तो उन्होने वापस ड्रायवर को भेजा. तो करीब दो घंटे का बाद साहिल को छोड के वो तीन लडके वापस आते है, फिर घर पर ड्रग्स देने के लिए.

जब वापस आते है तो देखते है की ये दोनो वैसे ही पडे हुए है दोनो बेहोश. तब वो फिर विवेक मोईत्रा के जेब से पुडीया बदलते है. और घर से यह कहकर निकल जाते है के नौकर अनिल और गणेश को कहके, की इनको हॉस्पिटल ले जाओ.

तब करीब 2.30 बजे रात को, ये दोनो गाडी मे डालकर उन दोनो को अपोलो हॉस्पिटल ले जाते है. हालाकी एम्स वहा से पास मे है, सफदरजंग पास मे है. पाच मिनट का भी रास्ता नहीं है. और अपोलो बहोत दूर है वहा से. लेकीन अपोलो ले जाया जाता है. अपोलो मे ले जाने के बाद डॉक्टर जब चेक करते है तो पता चलता है की बिबेक मोईत्रा की मौत हो चुकी है. राहुल महाजन की हालत गंभीर है. लेकीन फिर सुबह तक ये था की राहुल खत्रे से बाहर है. उसके बाद पुलिस बाकी ड्रग पेडलर की तलाश करती है. उन्हे ढूंढती है. सबकुछ होता है. लेकीन पता नहीं चलता.

अबतक खबर यहीं है की ड्रग्स की बात को ऑफिशिअली कोई बता नहीं रहा है. इस बीच मे अपोलो से एक मेडिकल बुलेटीन जारी होता है. उस बुलेटीन मे ये कहा जाता है की बिबेक मोईत्रा की जो मौत हुई है वो तो किसी अनजाने जहर से हुई है. लेकीन राहुल महाजन के शरीर से ड्रग्स का कोई भी अंश नहीं मिला है. ये क्लिअर पोस्ट बकायदा अपोलो के मेडिकल बुलेटीन से दी जाती है.

ये ब्रिफींग होने के बाद मीडिया मे बताया जाता है की राहुल महाजन के शरीर से कोई ड्रग्स नहीं मिला है. इस बीच मे जो पुलीस तलाश कर रहीं थी चार लडको को. उनमे से मेन साहिल झोरू नाम का एक कश्मीरी लडका था. वो ये सारी चीजे देखता है टीव्ही पर सुबह उठकर. ये देखने के बाद साहिल घबरा जाता है. क्योंकी वो भी वहा था. तो वो भाग के कश्मीर चला जाता है. श्रीनगर की तिकट मिल जाती है उस को और वो उसी दिन दिल्ली छोड देता है.
लेकीन वहा जाने के बाद अपने वकील और परिवार जब संपर्क करता है तो उसे सरेंडर करने को का जाता है. जब की तुमने कुछ किया नहीं है और तुम भाग रहे हो, तो कल को नुकसान होगा. तो तुम सरेंडर कर दो.

अब यहा से फिर एक दुसरी कहानी शुरु होती है. जब उसको कहा की सरेंडर कर दो तो उसने आजतर चॅनेल से संपर्क किया. फिर लाईन अप होता है. श्रीनगर के हमारे जो दोस्त है उनसे बात होती है. साहिल को श्रीनगर के स्टुडिओ मे लेकर आते है. यहाँ दिल्ली के स्टुडिओ मे मै और दीपक शर्मा मेरे साथी मौजूद थे. दोपहर के कुछ 3 या साडे तीन बजे थे. और वहा के स्टुडिओ मे साहिल लाईव्ह बैठा हुआ है. अब हम दोनो लाईव्ह बात करते है. और मै उसे पुरी कहानी पुछना शुरु करता हू.

साहित बताता है की हा मै ड्रग्स लेकर गया था. उस दिन हमने ड्रग्स दी थी. और राहुल ने शॅम्पेन और ड्रग्स ली थी. बिबेक मोईत्रा ने भी शॅम्पेन और ड्रग्स ली थी, ऐसा साहिल बताता है. थोडी देर पहले अपोलो ने अपना मेडिकल बुलेटीन जारी किया था. प्रेस कॉन्फरन्स कि थी. लेकीन साहिल कुछ अलग ही बता रहा था, जो की उस रात राहुल महाजन और बिबेक मोईत्रा के साथ था.

इस लाईव्ह के दौरान दिल्ली पुलीस की भी नजर थी आज तक पर और उसी वक्त दिल्ली पुलीस फौरन फोन करती है कश्मीर पुलीस को. कश्मीर पुलीस के सीनिअर अफसरों से बात होती है. लाईव्ह के दौरान ही कश्मीर पुलिस अफसर सीधे लाईव्ह स्टडिओ पे पहुंच जाते है. साहिल को उठाती है, गिरफ्तार करती और श्रीनगर से दिल्ली लेकर आती है. ये सब लाईव्ह बुलेटीन के दरम्यान होता है. पुरा देश ये सब देखता है.

साहिल की गिरफ्तारी के बाद उसका बयान लिया जाता है. बाकी के 3 लडके भी अपना बयान देते है. बयान के बाद फिर एनडीपीएस एक्ट के तहद मामला दिल्ली पुलीस दर्ज करती है. राहुल महाजन जब हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होते है फिर उनको पुलीस गिरफ्तार करती है. उन्हे ले जाया जाता है पुलीस कस्टडी मे. बाद मे जमानत मिलती है. खैर फिर बाद मे वो छुट जाते है.

लेकीन ये कुलमिला के इसमे दो चीज सामने आती है. क्या उस रात ये ड्रग्स जानबूज के गलत दिया गया था? बिबेक मोईत्रा की जो मौत हुई है, क्या वाकई वो कोकेन और शॅम्पेन के कॉकटेल से हुई? या फिर कुछ औऱ वजाह थी? क्योंकी बिबेक मोईत्रा के परिवार वाले, उनके मॉ बात आखिर तक यही कहते रहे की वो ड्रग्स नहीं लेता था. उसकी मौत एक साजिश है.
मै इसलिय ये दोनो कहानीयो को एकसाथ ता रहा हू क्योंकी ये कडीया कहीं न कहीं जुडती है.

बिबेक मोईत्रा प्रमोद महाजन के बारे मे बहोत कुछ जानते थे. प्रमोद महाजन के परिवार के साथ भी बिबेक मोईत्रा के करीबी संबंध थे. इसीलिए बिबेक मोईत्रा की संदिग्ध मौत ने कई सवाल खडे कर दिये. कई शक और सवाल पुछे जा रहे थे. हाला की आज तर उनमे से किसी भी सवाल का जवाब सामने नहीं मिल माया. बिबेक मोईत्रा के मौत का सच क्या है, ये अभी भी अमने आप मे एक सवाल कायम आहे. लेकीन अगर आप कागज पे जाए तो उसमे यहीं है की ड्रग्स का ओव्हरडोस, ड्रग्स गलत तरीके से लेना, ये वजह बोली गयी.

ये भी था के रात उन दोनों ने जो ड्रग्स जिस तरीके से लिया था.. उस वक्त नोटो के जरीये ड्रग्स की लकीर बना कर इनहेल किया गया था. उसी के बाद उलटी शुरु हुई और उनकी तबीयत भी बिगडी. फॉरेन्सिक टेस्ट से इन सब चीजों का खुलासा हुआ था.

दुसरी जगह प्रवीण महाजन ने आरोप लगाया था की बिबेक मोईत्रा जो जादा महत्त्व दिया जाता है और उन्हे सब कुछ पता भी है, ऐसा बताया जाता था. सारे सिक्रेट अकाऊंट, कहा कहा पैसे है, ये भी मोईत्रा जानते थे, ऐसा प्रवीण महाजन का कहना था. जो बेनामी पैसे है फंडींग के वो कहा है ये भी पता है. इसीलिए बिबेक मोईत्रा की मौत इस तरीके से शक के घेरे मे रहीं. राहुल महाजन का भी उसमे शामिल होना और इस तरीके से ड्रग्स लेना शक के दायरे मे आ गया.

अनिल और गणेश ने बयान दिए थे, उसमे उन्होंने कहा था की पहली बार जब बिबेक मोईत्रा बेहोश हुआ था तो उसके बाद वो उठा ही नहीं. तो शायद उसकी मौत लगभग उसी वक्त हो चुकी थी जैसे ही उसने ड्रग्स को लिया था. तो ये सवाल भी बिबेक मोईत्रा के साथ ही चला गया. राहुल महाजन बाद में फिर दिल्ली से मुंबई जाते है. इस मामले मे राहुल ने जो पुलीस को बयान दिया था वो ये था की हां.. वो लडका ड्रग्स लेकर आया था. लेकीन मैने नहीं बिबेक मोईत्रा की बात कहीं थी सबकुछ. मैने कोई ड्रग्स नहीं लिया था. बाद मे राहुल महाजन रिएरिटी शो मे वगैरा भी दिखे.

लेकीन आज भी बहोत से लोग ऐसे है प्रमोद महाजन के कत्ल को औऱ बिबेक मोईत्रा के मौत को एकसाथ जोडकर देखते है. लेकीन इस बारे मे जो कानुनी चीजें है वो ये है की अदालत ने प्रमोद महाजन की मौत के लिए सिर्फ और सिर्फ प्रवीण महाजन को जिम्मेदार माना. उन्हे उर्मकैद की सजा सुनाई. लेकीन मक्सद क्या हा कत्ल का ये अदालत भी अपने फैसले मे कुछ साफ साफ स्पष्ट नहीं कह पायी. मतलब छुआ सभी कुछ. लेकीन स्पष्टता नहीं थी.

क्योंकी गुस्से मे किया हुआ कत्ल होता तो फिर रात को ही झगडा हुआ था. रात को ही प्रवीण महाजन घर पहुंच सकता था. फिर वो एसएमएस जो आखिरी लिखा की, उसका क्या मतबल निकलता है. फिर बार बार धमकाने की वजह क्या थी. किस चीज को लेके वो आगाह कर रहा था. कौन सी ऐसी चीज थी, जो इन सब घटनाओं के लिए जिम्मेदार थी? ये सारे सवाल खुल के कभी सामने नहीं आए.

प्रवीण महाजन ने लिखे हुए किताब को भी सच नहीं माना गया. क्योंकी महाजन परिवार के सब से बडे भाई प्रकाश महाजन ने कहा था की महाजन परिवार को बदनाम करने की साजिश उस किताब के माध्यम से की जा रही है. बाकी उसमे कुछ नहीं है. कभी प्रमोद महाजन का ऐसा कुछ रहा नहीं. परिवान ने हमेशा प्रमोद महाजन का सपोर्ट किया और कहा की जो भी प्रवीण महाजन कह रहे है वो सब बकवास है.

ये पुरी कहानी थी प्रमोद महाजन के मौत की. आज भी इस कत्ल के बारे कई सवाल जिन्दा है. कई चीजें है जो सामने नहीं आयी.

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